Saturday 3 May 2014

एक महान इंसान

आज सुबह सुबह एक महान इंसान से बात करने का मौका मिला, नाम से अगर गूगल पर सर्च करेंगे तो शायद ही मिल पाएं मगर उनकी बातें सुन कर जरूर लगा कि बहुत महान हैं। और उन महान इंसान ने मुझ जैसे तुच्छ इंसान के आगे अपनी महानता का बखान केवल इसलिए किया ताकि मुझे ये अहसास हो सके कि वो मुझसे बात कर के कितना बड़ा अहसान कर रहे हैं मुझ पर।

अच्छा तो बात को जरा लम्बा ना खींचते हुए सीधा सीधा वो सब कहता हूँ जो वो कहना चाहते थे अपने दिल में:-
" तुम्हे जरा भी अंदाजा है कि तुम किससे बात कर रहे हो, तुम शायद मुझे नहीं जानते इसीलिए मेरी आलोचना कर रहे हो, अरे तुम्हे क्या पता है, मैंने बचपन से लेकर आज तक हज़ारों किताबें पढ़ी हैं वो भी ऐसे ऐसे लेखकों की जिनके नाम तक तुमको नहीं पता होंगे, हज़ारों किलोमीटर का सफर किया है, इस दुनिया के जितने भी बड़े बड़े समझदार लोग है और बुद्धिजीवी हैं वो सब मेरी जान पहचान के हैं, मैंने खूब समाजसेवा के काम किये हैं, मेरे पास बहुत पैसा है मैं चाहता तो ऐशो आराम की जिंदगी बिता सकता था मगर मैं घूमता रहा और गरीबो के बीच में जा जाकर फोटो खिंचवाता रहा, आप मेरी आईडी देखोगे तो उसका सबूत मिल जायेगा, ये मेरा बड्डपन ही तो है जो मैं तुम्हारी फ्रेंड लिस्ट में शामिल हूँ, और क्या बात करते हो यार कि नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल देश का भला करेंगे, देश का भला सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस कर सकती है और आज तक करती भी आई है, तभी तो याद करो एक वो वक्त था जब तुम घर के बाहर नाली में निपटने जाते थे और आज खुद के घर में संडास में बैठे बैठे फेसबुक चला रहे हो, अगर कांग्रेस ना होती तो तुम्हारा बिलकुल भी भला नहीं होता, हां हां जानता हूँ कि लहर चल रही है, मगर ये सब लोग मूर्ख हैं, आने वाले वक्त में इन्हे इनकी गलती का अहसास होगा और पता चलेगा कि मैं कितना महान हूँ, खैर तुमने किया ही क्या है, अपनी जिंदगी ख़राब ही तो की है अभी तक, ना मेरी तरह हज़ारों किताबें पढ़ी ना कोई समाजसेवा का काम किया, अगर किया है तो डालो उसकी फोटो फेसबुक पर, आखिर मुझे भी तो पता चले। " और देखो मैं कितना विनम्र हूँ जो इतना महान होकर भी तुमसे बात कर रहा हूँ।


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