जान तेरी जो ले ली बहना, मेरे वंश के लोगों ने
मैं माफ़ी के काबिल ना हूँ, करना ना तू माफ़ मुझे
बेशक उनमे शामिल ना हूँ, पर मैं भी अपराधी हूँ
रोक नहीं पाया ये सब कुछ, कहीं तो मैं भी दोषी हूँ
जो वो अब तक जिन्दा हैं, दे पाया ना इंसाफ तुझे
मैं माफ़ी के काबिल ना हूँ, करना ना तू माफ़ मुझे
तुम लेटी थी सड़कों पर, मैं जो पास से गुजर गया
ना तन पे कपडे डाले, ना दे पाया मैं हाथ तुझे
तुम रोती थी, कहती थी, कोई है जो मदद करो
तेरी उस हालत को तक कर आई ना थी लाज मुझे
दानव नहीं बना किंतु तुम कहना ना इंसान मुझे
मैं माफ़ी के काबिल ना हूँ, करना ना तुम माफ़ मुझे
मैं सड़कों पर उतरा था, तेरी खातिर
लड़ता था
कुछ बन्धु थे साथ मेरे, मैं सरकारों
से भिड़ता था
जिनसे न्याय मैं मांग रहा था, वे भी कुछ ना
कर पाए
कुछ दोषी उनमे भी शामिल है, तब लगते वो
लाचार मुझे
चुना भी उनको मैंने ही तो, पछतावा क्यूँ
आज मुझे
मैं माफ़ी के काबिल
ना हूँ, करना ना तुम माफ़ मुझे
मैं उस बेटे का वालिद जो मान तुम्हे ना दे पाया
है मेरी भी गलती जो मैं ज्ञान उसे ना दे पाया
जो मैं बचपन से उसको तेरा सम्मान सिख देता
तो आज शर्म ना आती यूँ, कहते उसको अपना बेटा
संस्कार दे पाया ना, अब लगता है अपमान मुझे
मैं माफ़ी के काबिल ना हूँ, करना ना तुम माफ़ मुझे