विकास पुरोहित "पूरवे"
मेरे विचारों का ये जहां, आपका भी स्वागत है जहाँ
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कवितायेँ, शायरी
Tuesday 20 November 2012
ना जाने
कब से शुरुआत करने का सोच रहा था
मगर जिंदगी के इम्तिहानों ने खुद के लिए वक़्त ना दिया
आखिर इच्छाओ की प्रबलता ने जीत हासिल कर ही ली
ला खड़ा किया मुझे नई मंजिल के रास्तों पर
उम्मीद है वो सब कुछ हासिल होगा जिसका सपना है
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