आज ऑफिस में एक शख्स आये, उम्र 115 वर्ष होने में 3 महीने कम, मगर बोलने की और काम करने की ऊर्जा देख कर कोई युवा भी शरमा जाए। उनके बारे में थोडा जाना तो आश्चर्य का ठिकाना ना रहा, कितनी सच्चाई थी वो तो नहीं कह सकता मगर उनके कुर्ते के जेब पर टंगे हुए पंद्रह से बीस कार्ड जिन पर उनका किसी में अशोक गहलोत के साथ तो किसी में कोई और के साथ तस्वीर में नाम और अख़बारों की कटिंग भी थी साथ में। पता चला की स्वतंत्रता सेनानी रह चुके हैं, पैंतालिस वर्ष की उम्र तक भारतीय वायु सेना में पायलट थे, जन्म काशी में और पालन पोषण हैदराबाद में हुआ, फिर परिवार के साथ गुजरात आ गये, उनके माता पिता की अंग्रेजों ने हत्या करवा दी और वो स्वतंत्रता संग्राम में जुड़ गये, महात्मा गाँधी की शादी में उनके साथ राजकोट जाकर 2 महीने साथ भी रहे, साबरमती के किनारे 6 गोलियां खाई शरीर पर फिर सौराष्ट्र में भी 1 गोली और उसके बाद लाल किले में 5 गोलिया खाने के बाद भी जीवित बच गये तब खुद ने ही अपनी अंतरात्मा की आवाज़ से लिख दिया की मेरी उम्र 147 वर्ष होगी। आज उनकी पूरी पेंशन सरकारी खाते में जमा होती है जिससे उनके निर्देशानुसार धार्मिक और सामाजिक कार्य किये जाते हैं, उनका सारा खर्च सरकार वहन करती है और स्वयं गरीब बच्चों को पढ़ाने, गौशाला चलाने और गरीबो की खातिर एक संस्था चलाते हैं और खुद ही जगह जगह घूम कर इस कार्य के लिए जो भी राशि की आवश्यकता होती है, इक्कठी करते हैं।
उनके नाम और फोटो को बताने के लिए उनकी अनुमति नहीं मिली इसलिए नहीं बता सकता आपको, मगर सच में एक जबर्दस्त अनुभव था, ऐसा महसूस हुआ जैसे उनके आगे हम तो कुछ भी नहीं, उनका निवास जयपुर में है आजकल, फ़ोन नंबर ले लिए हैं, कभी जाकर मिलना हुआ तब और भी बहुत कुछ जानने की इच्छा है। भगवान उन्हें सदा स्वस्थ रखे। जय हिन्द। वन्दे मातरम।
उनके नाम और फोटो को बताने के लिए उनकी अनुमति नहीं मिली इसलिए नहीं बता सकता आपको, मगर सच में एक जबर्दस्त अनुभव था, ऐसा महसूस हुआ जैसे उनके आगे हम तो कुछ भी नहीं, उनका निवास जयपुर में है आजकल, फ़ोन नंबर ले लिए हैं, कभी जाकर मिलना हुआ तब और भी बहुत कुछ जानने की इच्छा है। भगवान उन्हें सदा स्वस्थ रखे। जय हिन्द। वन्दे मातरम।